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कहीं देर ना हो जाए …(हिंदी दिवस पखवाड़े का आयोजन …)contest

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हिंदी दिवस के उपलक्ष में ‘कांटेस्ट’ हो रहा है, सोचा हम कैसे पीछे रह जाएँ, सो, कमर कस कूद पड़े मैदाने-जंग में.पर, क्या कहें, कितनी भी मशक्कत कर लें, संगठन , गोष्ठियां, समेल्लन, सेमिनार्स,पखवाड़े आयोजित कर len ….सब सिर्फ एक भरम सा है, कुँए के मेंढक वाला; बाहर की दुनिया की हकीकत से रूबरू हों तो पता चले की हिंदी क्या और अंग्रेजी क्या, यहाँ तो भाषा का ही अस्तित्व खतरे में है! भाषा जो एक संस्कृति की, एक सभ्यता की पहचान मानी जाती है, एक प्रतीक है हमारे संस्कारों का , वो तो जाने कहाँ लुप्त हो रही है. आज भाषा के स्वरुप पे गहरे बादल मंडरा रहे हैं,’ इमोटिकॉन्स’ ने ‘इमोशंस’ की जगह ले ली है और फेसबुक/ट्विटर हमारी लयखिक शैली के अकेले गवाह रह गए हैं. अब तो अंग्रेजी का ‘कूल’ भी ‘क्यूल’ बन चुका है , हर भाव हर भावना की अभिव्ययक्ति अब’ लओल’ यानी की ‘lol से होती है, पता ही नहीं चलता की ‘लोटस ऑफ़ लव’ कह रहे हैं की ‘लाफिंग आउट लाउड ‘, प्यार भी येही, मस्ती भी और बात ख़तम करने का तरीका भी येही !! ‘टेक्सस्टिंग’ व् ‘ट्रेनडिंग’ हमारी जागरूकता का नया परिचय है, हिंगलिश अभिव्यक्ति का माध्यम; समय का आभाव है और बात कहने की जल्दी,तो क्या उम्मीद लगायें हम इस ताबड़तोड़ भागती, हर क्षण बदलती शब्दावली से. आज शब्दजाल तो हैं पर वो हमें रिझाते नहीं, ना वो नाज़ाकत है , ना वो नफासत ; वो शब्दों की खनक भी कहीं खो सी रही है और ऐसे में हम ढून्ढ रहे हैं हिंदी के निगहबानो को…
निरंतर बदल रहा है शब्दों का बाज़ार, इक होड़ सी लगी है हर लफ्ज़ को तोड़ मरोड़ एक नया रूप देने की, बलिक इस शब्दकोष में शब्द कम हैं और ‘समायलीस’ (चिन्ह/चित्र) ) ज्यादा. जब मनोदशा में स्थिरता नहीं आज के नौजवान के, तो सोच में, विचारों की अभिव्यक्ति में, भाषा में कैसे यह अपेक्षा रखें. शायद अपनी अलग पहचान बनाने के फेर में वः अपनी भाषा की पहचान से ही खिलवाड़ कर बैठा है.जाने अनजाने, हमारी यह धरोहर हाथों से फिसल रही है और हम नादान, नयेपन की तलाश में, कुच्छ अलग, हट के करने की होड़ में,तकनीकी नवनीकरण के भरम में मुट्ठी खोले बैठे हैं. यह मिली जुली तरकारी,बेस्वाद, बदरंग सी; यह नयी ‘हिप चैट’ जिसकी ना तो कोई लिपि है न कोई शैली, इतिहासकारों को उल्झाएगी , भरमायेगी और शायद गुदगुदाएगी भी क्यूंकि आदिमानव की गुफा में बने चित्रों से जो लम्बा सफ़र तय किया था हमने, वो लगता है वहीँ आकर समाप्त होने वाला है…….आप रोक सकते हो तो रोक लो ,कहीं देर न हो जाए!!

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